केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कुछ सीमाओं से समझौता संभव नहीं है। अमेरिका के ऊंचे टैरिफ के नकारात्मक असर को कम करने के लिए सरकार निर्यात विविधीकरण की रणनीति पर काम कर रही है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने यह भी कहा कि भारत, पाकिस्तान के सेना प्रमुख द्वारा परमाणु धमकी देने के लिए अमेरिकी जमीन के इस्तेमाल का मुद्दा अमेरिका के सामने उठाएगा.
1. अमेरिकी टैरिफ के नकारात्मक असर को कम करने के लिए केंद्र सरकार के केंद्रित प्रयास जारी 2. विदेश मामलों की संसद की स्थायी समिति के सामने सरकार ने पेश किया अपना रुख |
मिसरी और वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्यों को ‘अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और टैरिफ’ के बारे में जानकारी दी। भारत में 25 अगस्त से शुरू होने वाली अगले दौर की वार्ता को लेकर अनिश्चितता के बीच यह जानकारी दी गई।
‘कठिन दौर से गुजर रहा व्यापार संबंध’
ब्रीफिंग का हवाला देते हुए एक सूत्र ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध ‘कठिन दौर’ से गुजर रहे हैं और सरकार इससे निपटने के लिए कदम उठा रही है। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ का मुद्दा सुलझने तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी।
किन उद्योगों पर पड़ेगा असर?
सूत्रों ने शीर्ष सरकारी अधिकारियों की ब्रीफिंग का हवाला देते हुए कहा कि ऑटो, कपड़ा, चमड़ा और रत्न एवं आभूषण जैसे कुछ उद्योगों पर अमेरिका के उच्च टैरिफ का खासा असर पड़ने की संभावना है।