पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि चीन से निपटने के लिए भारत का समर्थन बेहद जरूरी है। हेली ने चेतावनी दी कि व्यापारिक तनाव से दोनों देशों के रिश्तों में दरार आ सकती है, जिसका फायदा चीन उठा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने ट्रंप प्रशासन से भारत के साथ रिश्ते सुधारने का आह्वान किया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों में आई खटास के बीच पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है।
निक्की हेली ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत को एक “मूल्यवान और लोकतांत्रिक मित्र” के रूप में देखना चाहिए, ताकि चीन का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया जा सके।
न्यूजवीक में अपने लेख में उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के साथ पिछले 25 वर्षों की दोस्ती को खो देना एक रणनीतिक नुकसान होगा।
हेली ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अमेरिका के लिए भारत एक आवश्यक साझेदार है।

निक्की हेली ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत का उभरना दुनिया के लिए कोई खतरा नहीं है, बल्कि यह चीन जैसे कम्युनिस्ट देशों से अलग है। उन्होंने अपने लेख में लिखा, “भारत को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक साझेदार के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि चीन जैसा दुश्मन माना जाए, जो रूस से तेल खरीदने के बावजूद प्रतिबंधों से बच रहा है, जबकि वह मॉस्को का सबसे बड़ा खरीदार है।”
‘चीन के खिलाफ भारत ही असली ताकत’
हेली ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत का उभरना एक आज़ाद दुनिया के लिए खतरा नहीं है, जैसा कि कम्युनिस्ट चीन है। उन्होंने लिखा, “चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और भारत की साझेदारी किसी भी संदेह से परे अत्यंत आवश्यक है।”
हेली ने यह भी बताया कि भारत के पास चीन की तरह बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता है, जो अमेरिका को अपनी सप्लाई चेन को चीन से हटाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, भारत की बढ़ती रक्षा ताकत और मध्य पूर्व में उसकी भूमिका क्षेत्र को स्थिर करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
अपने लेख में हेली ने लिखा, “अल्पकालिक तौर पर, भारत अमेरिका को अपनी सप्लाई चेन को चीन से हटाने में मदद करने के लिए बेहद अहम है। जहां ट्रंप प्रशासन अमेरिका में विनिर्माण को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो कपड़ा, सस्ते फोन और सौर पैनल जैसे उत्पादों को चीन की तरह बड़े पैमाने पर बना सकता है, जो अमेरिका में जल्दी या कुशलता से नहीं बन सकते।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत की बढ़ती ताकत और मध्य पूर्व में उसकी सुरक्षा भूमिका क्षेत्र को स्थिर करने में महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि अमेरिका वहां कम सैनिक और संसाधन भेजना चाहता है। भारत की भौगोलिक स्थिति बीजिंग के लिए किसी बड़े संघर्ष में मुश्किलें पैदा कर सकती है।”

भारत की आर्थिक ताकत का लोहा माना
निक्की हेली ने अपने लेख में भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बताया और कहा कि यह जल्द ही जापान को पीछे छोड़ देगा। अमेरिकी राजदूत ने यह भी लिखा कि भारत का उभरना चीन के वैश्विक व्यवस्था को बदलने के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा अवरोध है।
हेली ने भारत और चीन के बीच आर्थिक हितों के टकराव और सीमा विवादों का उल्लेख किया, खासकर 2020 के गलवान घाटी संघर्ष का। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ साझेदारी भारत को आर्थिक और सैन्य दृष्टि से अपने आक्रामक पड़ोसी चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने में मदद करेगी, जो अमेरिका के हित में है।

‘ट्रेड विवाद को न बढ़ने दें’
हेली ने चेतावनी दी कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव को बढ़ाकर रिश्तों में स्थायी दरार डालना एक “बड़ा और टाला जा सकने वाला” गलत कदम होगा।
उन्होंने आशंका जताई कि इससे चीन को लाभ हो सकता है। हेली ने भारत को सलाह दी कि वह रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात को गंभीरता से ले और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका समाधान निकाले।
उन्होंने ट्रंप से आग्रह किया कि वह भारत के साथ रिश्तों में आई खटास को जल्द से जल्द सुधारें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे बात करें। उनका कहना था, “ये कदम जितनी जल्दी उठाए जाएं, उतना बेहतर होगा।”
अपने लेख में हेली ने लिखा, “प्रशासन को भारत के साथ दरार को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और इस रिश्ते को और अधिक उच्च-स्तरीय ध्यान और संसाधन देने चाहिए, जैसा कि अमेरिका चीन या इजरायल को देता है।”

साझा लक्ष्यों की अहमियत पर जोर
हेली ने जोर देकर कहा कि अमेरिका को सबसे जरूरी बात, यानी साझा लक्ष्यों को नहीं भूलना चाहिए। निक्की हेली ने कहा, “चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका को भारत में एक मजबूत दोस्त की आवश्यकता है।”
यह बयान तब आया है जब अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो जाएगा। इस टैरिफ के कारण भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों में तनाव बढ़ गया है।