वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज जी इस समय किडनी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। कई भक्तों ने उन्हें अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया। महाराज जी ने कहा कि अब वे इस शरीर को त्यागना चाहते हैं और किसी अन्य का अंग लेकर जीवन नहीं बिताना चाहते। उन्होंने अपने शिष्यों को संदेश दिया कि वे भगवान का भजन करें, दूसरों की सेवा में लगे रहें और जीवन को प्रेम व समर्पण के मार्ग पर चलाएं.
मथुरा। राधानाम के प्रचार-प्रसार से देश-विदेश में प्रसिद्ध वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज इस समय किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं, लेकिन राधारानी की भक्ति और श्रद्धा उन्हें जीवित रहने की शक्ति दे रही है।
कई भक्तों ने उन्हें अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई, परंतु संत प्रेमानंद महाराज ने बड़े विनम्र भाव से सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। उनका कहना है, “मैं किसी को कष्ट देकर किडनी नहीं लेना चाहता। जब तक श्रीजी चाहेंगी, हमारी सांसें चलेंगी। मेरी एक किडनी कृष्ण हैं और दूसरी राधा — इन्हें मैं अपने से अलग नहीं कर सकता।”
महाराज जी की डायलिसिस हर सप्ताह तीन से चार बार वृंदावन-छटीकरा रोड स्थित उनके निवास ‘कृष्ण शरणम कॉलोनी’ में होती है। उनके आवास पर पूरी मेडिकल व्यवस्था की गई है, जहां दो तकनीशियन और दो सहायक डायलिसिस प्रक्रिया संभालते हैं। किसी भी तकनीकी परेशानी के समय सिम्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. आशीष शर्मा तत्काल आवास पर पहुंचकर देखरेख करते हैं।
डॉ. शर्मा के अनुसार, पिछले तीन वर्षों से वे संत प्रेमानंद की डायलिसिस की व्यवस्था देख रहे हैं। एक डायलिसिस में लगभग चार घंटे लगते हैं और यह प्रक्रिया सप्ताह में तीन से चार बार की जाती है।
महाराज जी के भोजन में भी सख्त परहेज़ रखा गया है। उन्हें दिन भर में केवल 1 से 1.5 लीटर पानी पीने की अनुमति है। भोजन सादा होता है, जिसमें नमक बहुत कम मात्रा में दिया जाता है। जूस, खट्टे पदार्थ और सेंधा नमक पूरी तरह वर्जित हैं।
करवा चौथ पर संत का दृष्टिकोण:
एक वार्ता में जब एक भक्त ने उनसे पूछा कि महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा — “यह छोटी-मोटी बातें हैं। कोई भी अनुष्ठान या करवा चौथ किसी की मृत्यु को नहीं रोक सकता। जीवन की अवधि ईश्वर ने पहले से ही तय कर रखी है, और वही अंतिम सत्य है।