उदयपुर, 26दिसम्बर। उदयपुर शिल्पग्राम उत्सव-2025 के अंतर्गत शुक्रवार शाम मुक्ताकाशी मंच पर देशभर की लोक संस्कृतियों का भव्य संगम देखने को मिला। पश्चिम बंगाल के पारंपरिक राय बेंसे लोक नृत्य ने दर्शकों में जोश और रोमांच भर दिया। एक्रोबेटिक युद्ध कौशल, शक्ति और तालमेल से सजी इस प्रस्तुति पर पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

राय बेंसे नृत्य पश्चिम बंगाल के बीरभूम, बर्धमान और मुर्शिदाबाद क्षेत्रों में प्रचलित है, जिसे केवल पुरुष कलाकार प्रस्तुत करते हैं। नृत्य में शौर्य और युद्ध कला का जीवंत प्रदर्शन दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। इसी क्रम में बंगाल के नटुआ लोक नृत्य की मार्शल आर्ट आधारित प्रस्तुति को भी खूब सराहना मिली।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज अंचल के ढेड़िया लोक नृत्य में नर्तकियों ने सिर पर मिट्टी के घड़े रखकर अद्भुत संतुलन दिखाया। गीत और नृत्य की तालबद्धता ने यूपी की लोक संस्कृति से दर्शकों को रू-ब-रू कराया।

जम्मू का डोगरी लोक नृत्य जगरना, राजस्थान की सहरिया जनजाति का सहरिया स्वांग व सफेद आंगी गेर, उत्तराखंड का छापेली, गोवा का समई, त्रिपुरा का होजागिरी, महाराष्ट्र का मल्लखंभ, मणिपुर का थांग-ता और छत्तीसगढ़ की पंडवानी प्रस्तुति ने भी दर्शकों का दिल जीत लिया।

कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित और यश दीक्षित ने किया।

‘हिवड़ा री हूक’ में दिखी प्रतिभा
बंजारा मंच पर चल रहे ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम में मेलार्थियों ने गायन, कविता व अन्य प्रस्तुतियों के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। को-ऑर्डिनेटर सौरभ भट्ट की प्रश्नोत्तरी ने कार्यक्रम को रोचक बनाया, जिसमें विजेताओं को मौके पर उपहार दिए गए।
आज के खास आकर्षण
शनिवार शाम मुक्ताकाशी मंच पर गुजरात का सिद्धि धमाल डांस, ताल कचहरी, असम का बिहू, राजस्थान का कालबेलिया, सिक्किम का सिंघी छम, तमिलनाडु का कावड़ी कड़गम, पंजाब का भांगड़ा और ओडिशा का गोटीपुआ लोक नृत्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे।

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