वक्फ कानून को चुनौती:
विपक्षी दलों और कई नेताओं ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आज 10 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।
कुल मिलाकर अब तक 70 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें से कुछ में वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है।
🔹 वक्फ कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई 🔹 CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी याचिकाओं पर विचा |
वक्फ कानून पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई
वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ दोपहर 2 बजे से वक्फ बोर्ड के पक्ष और विपक्ष में दायर याचिकाओं पर दलीलें सुनेगी।
सीजेआई की अध्यक्षता वाली इस पीठ के समक्ष 10 याचिकाएं लिस्टेड हैं, हालांकि अब तक 70 से अधिक याचिकाएं—धार्मिक संस्थाओं, सांसदों, राजनीतिक दलों और राज्यों की ओर से—वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए दाखिल की जा चुकी हैं।
जानिए अब तक वक्फ कानून को लेकर क्या-क्या हुआ है…
🔍 वक्फ कानून पर विवाद: अब तक की प्रमुख बातें
- कानून को मिली मंजूरी:
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 4 अप्रैल को संसद से पारित हुआ और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 8 अप्रैल से यह अधिनियम लागू कर दिया गया। - 7 राज्यों का समर्थन:
हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और असम जैसे 7 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कानून की संवैधानिक वैधता बनाए रखने की मांग की है। - कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता:
जिन 10 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है, उन्हें दायर करने वालों में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, APCR, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, राजद सांसद मनोज झा सहित अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। - क्या है याचिकाओं की मांग:
कुछ याचिकाओं में कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है, तो कुछ में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की बात कही गई है। इसे मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया गया है। - ओवैसी का तर्क:
AIMIM प्रमुख ओवैसी का कहना है कि संशोधित कानून वक्फ संपत्तियों को दी गई सुरक्षा खत्म करता है और दूसरे धर्मों की संपत्तियों को संरक्षण देता है, जो स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण है। - AAP विधायक की दलील:
अमानतुल्लाह खान ने अपनी याचिका में कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, क्योंकि इसका धार्मिक संपत्ति प्रशासन से कोई तार्किक संबंध नहीं है। - सरकार का पक्ष:
सरकार का कहना है कि यह कानून धर्म से नहीं, बल्कि संपत्ति और उसके प्रबंधन से जुड़ा है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अनियमितताएं हैं, और उनकी आमदनी से जरूरतमंद मुसलमानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। नया कानून इस स्थिति को सुधारने के लिए लाया गया है। - विधेयक की प्रक्रिया और समर्थन:
सरकार ने दावा किया है कि यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति की जांच से गुजरा है, और इसमें सुझावों के आधार पर कई संशोधन शामिल किए गए हैं। इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन प्राप्त है। - देशभर में विरोध:
वक्फ कानून और इसके पहले के विधेयक के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। सबसे उग्र प्रदर्शन बंगाल में हुआ, जहां हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग बेघर हो गए। - बंगाल सरकार का रुख:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार संशोधित वक्फ कानून को लागू नहीं करेगी।